मोदी के फैसले ने गरमा दी सियासत, राहुल व प्रियंका के साथ मिल गए ओवैसी और स्वामी के सुर


पीएम नरेंद्र मोदी के फैसले के बाद जम्मू-कश्मीर की मौजूदा हालत को देखने के लिए यूरोपीय सांसदों का 27 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल श्रीनगर पहुंच चुका है। अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद यह पहला विदेशी प्रतिनिधिमंडल है जो सरकार की इजाजत पर कश्मीर का दौरा कर रहा है। अब इसी को लेकर देश में राजनीतिक बवाल शुरू हो गया है। हालत यह है कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी व प्रियंका गांधी से लेकर एआईएमआईएम के नेता असदुद्दीन ओवैसी और भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी तक के सुर एक हो गए हैं।
सुब्रमण्यम स्वामी व असदुद्दीन ओवैसी (फोटो : गूगल)
विपक्षी पार्टियां सरकार से पूछ रही है कि जब अपने सांसदों को कश्मीर जाने की इजाजत नहीं दी जा रही है तो विदेशी सांसदों को क्यों भेजा जा रहा है? क्या विदेशी सांसदों को कश्मीर भेजा जाना कश्मीर का अंतरराष्ट्रीयकरण नहीं है? कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने पीएम नरेंद्र मोदी की सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहा कि भारतीय सांसदों को रोकना और विदेशी नेताओं को वहां जाने की अनुमति देना अनोखा राष्ट्रवाद है। कश्मीर में यूरोपीय सांसदों को सैर-सपाटा और हस्तक्षेप की इजाजत लेकिन भारतीय सांसदों और नेताओं को पहुँचते ही हवाई अड्डे से वापस भेजा गया। यह बड़ा अनोखा राष्ट्रवाद है
एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि यूरोपीय संघ के सांसद जो इस्मामोफोबिया (नाजी प्रेम) नाम की बीमारी से पीड़ित हैं, वो मुस्लिम बहुल घाटी जा रहे हैं। गैरों पे करम, अपनों पर सितम, ऐ जा-ए-वफा, एक जुल्म न कर, रहने दे अभी छोड़ा सा धरम। बसपा अध्यक्ष मायावती ने भी कहा कि पहले भारतीय सांसदों को कश्मीर जाने की इजाजत मिलनी चाहिए थी। मायावती ने ट्वीट करके कहा कि जम्मू-कश्मीर में संविधान की धारा 370 को समाप्त करने के उपरान्त वहां की वर्तमान स्थिति के आकलन के लिए यूरोपीय यूनियन के सांसदों को जम्मू-कश्मीर भेजने से पहले भारत सरकार अगर अपने देश के खासकर विपक्षी पार्टियों के सांसदों को वहां जाने की अनुमति दे देती तो यह ज्यादा बेहतर होता।


 


नरेंद्र मोदी (फोटो : गूगल)
वहीं कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि कश्मीर दौरे के लिए यूरोपियन यूनियन सांसदों का स्वागत हो रहा है जबकि भारतीय सांसदों को वहां जाना बैन है। कुछ तो गड़बड़ हो रहा है। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने ट्वीट कर कहा कि जब भारतीय नेताओं को जम्मू-कश्मीर के लोगों से मुलाकात करने से रोक दिया गया तो फिर राष्ट्रवाद का चैम्पियन होने का दावा करने वालों ने यूरोपीय नेताओं को किस वजह से जम्मू-कश्मीर का दौरा करने की इजाजत दी? यह भारत की संसद और लोकतंत्र का अपमान है।



कश्मीर पहुंचे यूरोपियन यूनियन के सांसद (फोटो : गूगल)
कश्मीर में नजरबंद पूर्व मुख्यमंत्री और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता महबूबा मुफ्ती ने ट्वीट किया कि मुझे उम्मीद है कि उन्हें लोगों, स्थानीय मीडिया, डॉक्टरों और नागरिक समाज के सदस्यों से बातचीत करने का मौका मिलेगा। कश्मीर और दुनिया के बीच के लोहे के आवरण को हटाने की जरूरत है। जम्मू-कश्मीर को अशांति की ओर धकेलने के लिए भारत सरकार को जवाबदेह बनाया जाना चाहिए। उन्होंने अमेरिकी सीनेटरों को अनुमति नहीं देने के केंद्र के फैसले पर सवाल उठाया।


भाजपा के राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने ट्वीट किया कि मुझे आश्चर्य है कि विदेश मंत्रालय ने यूरोपीय संघ के सांसदों के लिए जम्मू-कश्मीर के कश्मीर क्षेत्र के दौरा की व्यवस्था की है। यह यूरोपीय संघ का आधिकारिक प्रतिनिधिमंडल नहीं, सिर्फ निजी यात्रा है। यह हमारी राष्ट्रीय नीति के खिलाफ है। मैं सरकार से इस यात्रा को रद्द करने का आग्रह करता हूं क्योंकि यह अनैतिक है।


न्यूज सोर्स : एबीपी न्यूज।


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