मुजफ्फरनगर 3 नवंबर प्राप्त समाचार के अनुसार
श्री नजमुल इस्लाम नज्म सिद्दीकी एक राष्ट्रीय स्तर के शायर है। इन्होंने शायरी की दुनिया में चार चाँद लगाकर अपना नाम रोशन किया है। श्री सिद्दीकी देश के विभिन्न समाचार पत्रों में छपते आ रहे है और देश की विभिन्न पत्रिकाओं में भी इनकी गजलें छपती आ रही है। वही पर आकाशवाणी एवं दूरदर्शन पर भी इनकी गजले लगातार आती रहती है।
इन्टरनेट पर उर्दूस्तान महफिल में इनकी गजले आल वल्ड में चल रही है। 15 वर्ष की आयु से शायरी और गजले लिखने वाले शायर ग्राम खेडी कुरैश मुजफ्फरनगर के नजमुल इस्लाम सिद्दीकी की योग्यता एम.एड. है, इनकी गजले भारत के साथ-साथ बंगला देश एवं पाकिस्तान की मैगजीनो में भी छप रही हैं।
श्री सिद्दीकी एक ऐसे शायर हैं कि जो हर टॉपिक पर शायरी करने का फन जानते हैं। उन्होने आल इण्डिया मुशायरे ओर आल इण्डिया कवि सम्मेलनों में भी भाग लिया है और लेते रहते है। इन्होने अपनी गजलों में जहां प्रेम, देश भक्ति और मानवीयता, रूहानियत, नूर का जलवा आदि को सर्वोपरि रखा है। वहीं गरीबीं को भी छुआ है। गरीबी पर क्या खूब लिखते है। कि-
गरीबी से लिपट कर रो रहा हूं,
सरे बाजार रूसवा हो रहा हूं,
बरसता है मेरी आंखो से सावन,
मै अश्कों से जहां को धो रहा हूं।
प्रेम की बात करते हुए कहते हैं कि-
एक महकता हुआ गुलाब हो तुम,
खूबसूरत हो लाजवाब हो तुम,
खो गए तुम तो जी न पाऊँगा,
जिन्दगी की मेरी किताब हो तुम,
नशा है मुझको तेरी मौहब्बत का,
कितनी मस्ती भरी शराब हो तुम,
बेमिस्ल है जहां में मेरे प्यार की खूशबू,
फूलों से भी सिवा है मेरे यार की खूशबू
उसका चेहरा मेरी आखों की किताबों में रहा,
दूर होकर भी हमेशा मेरे ख्वाबों में रहा,
पाँव पानी में डाल कर उसने
एक समन्दर को जिन्दगी बख्शी,
गम की दुनिया को यूँ मिटाया है,
चाँद ने जैसे चाँदनी बख्शी
आ मेरी जान आ मोहब्बत की छाओं में
उल्फत बना खडा हूँ कब से दिशाओं में
साँसों में तेरी याद का संगीत छिड गया,
क्या लुत्फ आ रहा है दिल की फिजाओं में
अपनी आखों में डूब जाने दे,
पार उतरना मुझे भी आता है,
तेरा ये गम मेरे अश्को से रोज खेले है,
जिगर का मेरे लहू बून्द बून्द पीले है,
हाले दिल कह सकूँ कोई सूरत नही
ये मोहब्बतो तो दिल की चुभन बन गई,
जिसने लूटा है मुझको मेरी जीस्त को
मेरे दिल में वो रश्के चमन बन गई,
मेरे दिल में बसी है तेरी उल्फत
मेरी तो जिन्दगी है तेरी उल्फत
मौहब्बत ही इबादत बन गई है,
ये मेरी बन्दगी है तेरी उल्फत,
नमाजे इश्क की लज्जत मे हो गया गुम सुम
ना रात होती है मेरी ना दिन निकलता है,
जाम भर भर के निगाहों से पिलादे साकी
नशा वो दिल में मौहब्बत का चढ़ादे साकी
एक समर हुस्ने मोहब्बत का पका है हमदम
जायका मेरी जबाँ को भी चखा दे साकी,
शाखे गुल पर हवा से लचक आ गई,
आप आए गुलों में महक आ गई,
हमारे दिल पे वो खन्जर चलाए जाते है।
हम उनकी याद में दिल को जलाएं जाते है।
चलते है मेरे दिल पे तेरी याद के नश्तर,
फिर भी ये मेरा दिल है तुझे प्यार करे है...
कोई हुस्ने जहाँ आए तो बोलूँ,
कि दिल में फूल खिल जाए तो बोलूँ,
मौहब्बत की लगी है पियास कब से,
शराबे इश्क मिल जाए तो बोलूँ,
जिसकी आंखों में भरा हो नज्म प्यार
मुझको ऐसा कोई मिला जाए तो बोलूँ,
दिल तुम भी मुझे दे दो मै जान भी दे दूगाँ।
जो माँग रहा हूँ मै वो जाने अदा दे दो,
तुम्ही हो इलाज इसका ये दर्दे मौहब्बत है,
तुम चाहो तो मरने दो तुम चाहो शिफा दे दो,
मौहब्बत का महल हूँ ऐ जमाने
जिन्दगी आकर बसर करले कोई भी,,
श्री सिद्दीकी ने जहाँ महबूब के सौन्दर्य की तस्वीर खींची है वहीं उनकी नजाकत को भी इन्होंने बखूबी तराशे हुए शब्दों में कही हैं। इनकी गजलो में प्यार की सुगन्ध, सोंधी महक, आप बखूबी महसूस कर सकते है-
जहाँ तक ये उजाला दिखाई देता हैं,
मेरे महबूब का जलवा दिखाई देता है,
जहाँ आलम में देखा तुझको देखा,
जमीनो आसमाँ है मेरा दिलबर,,
इंसानियत पर क्या खूब कहते है कि-
इंसानियत की शमां जलाते रहेगे हम,
सच्चाइयों पे चलना सिखाते रहेंगे हम,
नफरत को इस जहाँ से मिटाते रहेंगे हम,,
दुश्मन को भी गले से लगाते रहेंगे हम,
देशभक्ति पर कहते हैं कि-
दुश्मन को कभी भारत आने भी नहीं देंगे,
कश्मीर की वादी को जाने भी नही देंगे,,
भारत की शान ऐसे बढाऐंगे दोस्तो,
जुल्मो सितम को जड़ से मिटाएंगे दोस्तो,
होने ना देंगे हम कभी अपमान देश का,
अपने वतन की लाज बचाऐंगे दोस्तो,,
राष्ट्रीयता की बात करते हुए कहते है कि-
मजहब के चरागों से रोशन मेरा भारत है,
फिर इसमें ताअस्सुब की क्यों आग लगाते हो,
भारतीय एकता पर कहते हैं कि-
हिन्दू हो सिख ईसाई मुसलमान हो कोई
हर कोई एकसा है बताते रहेंगे हम,,
मस्जिद हो गुरूद्वारा हो मन्दिर हो चर्च हो,
अल्लाह सब जगह है दिखाते रहेंगे हम,,
सारे जहाँ से दूर अन्धेरा हो जुल्म का
उल्फत का वो चराग जलाते रहेंगे हम,,
जिससे मेरे वतन की चली जाए आबरू,
ऐसा सबक किसी को सिखाया न कीजिए,
आतंकवाद से कैसे निबटा जाए, आतंकवाद को मेरी राय में ऐसे खत्म किया जा सकता है कि-
इखलास की तलवार चलाना सीखो,
तुम प्यार से जालिम को मिटाना सीखों,
रूहानियत पर श्री सिद्दीकी की रसाई शायरों में सबसे अच्छी मानी जाती है।
श्री सिद्दीकी की रूहानी शायरी का जलवा देखें शेर-
आलमे बाला पे जब जाता हूँ मै,
दो जहाँ का शाह कहलाता हूँ मैं,
ईष्क की आगोश मे होकर फना,
खुद जमाले यार बन जाता हूँ मै,
जब मौहब्बत नूर बन जाती है नज्म
तब बुलाया अर्श पर जाता हूँ मै,,
तू मुझमें आ बसा है फिर भी पर्दा,
तेरी मुझमें सदा है मै नही हूँ,
मुझे देखे जो तुझकों देखते है,
मुझमें एक रोशन दीया है मै नही हूँ,
मेरे दिल मे नज्म एक ऐसा बुत है,
ख्यालो मे जिससे मुलाकात कर ली,
इस दौर का मै मुरली बजैया तो नही हूँ,
आंखो की किताबों में मेरी गीता लिखी है,,
चेहरा प्रेम का हूँ जरा मुझको जानिए,,
इस शीशाए दिल पे मेरे सीता लिखी है,,
शंकर का हुस्न मुझमे है, ऐ नज्म इसलिये,,
जीवन का सफर है जो यहां गीता लिखी है,,
नफरत को इस जहाँ से हटाया है राम ने,
रावण को इसलिए ही मिटाया है राम ने,
सीता को अपने दिल में बसाया है राम ने,
मौहब्बत ही बस खुदा है बताया है राम ने,,
जहाँ से मेरा जलवा हो गया है,
वहीं से नूर बरपा हो गया है,,
जिधर देखो उधर है मेरी सूरत,
गुलिस्ताँ मेरा चेहरा हो गया है,,
वाईज करीब आ तुझे मयकश बनाऊँगा,
जामे शहादते मय वहदत पिलाऊगा,,
आदाबे मयकदे से भी वाकिफ नही हो तुम,
पलको से सजदा करना भी तुमको सिखाऊँगा,
है इश्क एक शराब हकीकत नुमां भी है,
एक बूंद के नशे की मै कीमत बताऊँगा,,
जिधर से भी गुजरता हूँ मै वाईज,
उधर काबा नजर आता है मुझको,,
मरे ओसाफ समझे क्या ये दुनियां,
है मुझमे दो जहां आबाद साकी,
दुनियॉ समझ न पाएगी इस राज को कभी,
हूँ आसमॉ कहीं तो कहीं पर जमीं हूँ मै,,
मेरे महबूब का साया नही है,
अजल से नूर ही मकबूल है वो,
चॉद बेहद हंसी है भी लेकिन
आपके पाऊँ की तो धूल है वो
श्री सिद्दीक को प्रंशसा पत्रों द्वारा सम्मानित किया गया है। जिसमें समाचार पत्र है दैनिक ट्रिब्यून, दैनिक भास्कर, शाह टाईम्स, कल युग दपर्ण, पंजाब केसरी, देश सेवक, हिम प्रभा, लोक युग, विकास पत्रिका, दैनिक सूरज केसरी इनके साथ-साथ हरियाणा, पंजाब सरकार, चण्डीगढ यूनिवर्सीटी, ऑलज इण्डिया रेडियों, दूरदर्शन और इन्टरनेट “उर्दूस्तान महफिल” , ऑल वल्ड, उर्दू रत्न अवार्ड, अब्र अहसनी अवार्ड, हकीम मौ0 अहमद अवार्ड आदि ने भी सम्मानित किया।
राष्ट्रीय शायर नजमुल इस्लाम सिद्दीकी शायरी की दुनिया के बेताज बादशाह